नगर पंचायत रफीगंज की शिक्षित महिला चेयरमैन प्रत्याशी संगीता प्रसाद ने संवाददाता के समक्ष खुलकर रखी अपनी राय

रफीगंज से 2022 में पहली बार चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रही शिक्षित महिला प्रत्याशी, संगीता प्रसाद से जब संवाददाता की मुलाकात रफीगंज स्थित न्यू एरिया में गुरुवार को हुई. तब संवाददाता ने सर्वप्रथम सवाल पूछा कि आप नगर - पंचायत, रफीगंज से पहली बार चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रही है.

नगर पंचायत रफीगंज की शिक्षित महिला चेयरमैन प्रत्याशी संगीता प्रसाद ने संवाददाता के समक्ष खुलकर रखी अपनी राय

अजय कुमार पाण्डेय / अनिल कुमार विश्वकर्मा:

औरंगाबाद: ( बिहार ) नगर - पंचायत, रफीगंज से 2022 में पहली बार चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रही शिक्षित महिला प्रत्याशी, संगीता प्रसाद से जब संवाददाता की मुलाकात रफीगंज स्थित न्यू एरिया में गुरुवार को हुई. तब संवाददाता ने सर्वप्रथम सवाल पूछा कि आप नगर - पंचायत, रफीगंज से पहली बार चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रही है. आप इसे किस रूप में लेती हैं. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नगर - पंचायत काम करने के लिए है, जनता के लिए, हर क्षेत्र में. सिर्फ नाली - गली विकास का काम, नगर पंचायत का नहीं है. शिक्षा और स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है. नगर का सौंदर्यीकरण भी उतना ही जरूरी है. नगर को दूसरे क्षेत्रों से जोड़ना भी उतना ही जरूरी है, और चहुमुखी विकास होना जरूरी है. मैं इसलिए आई हूं, ताकि यहां के लोगों को बता सकूं कि नगर पंचायत के कितने काम है. और वो किये जाते है.

तब संवाददाता ने संगीता प्रसाद से सवाल पूछा कि नगर पंचायत, रफीगंज में वर्तमान जितने भी चेयरमैन प्रत्याशी हैं. सारे चेयरमैन प्रत्याशी एजुकेटेड पर्सन ही हैं. नगर पंचायत, रफीगंज की पूर्व चेयरमैन रह चुकी मिरिख दरखशां और उनके पति तथा नगर पंचायत, रफीगंज के ही पूर्व चेयरमैन रह चुके डॉक्टर गुलाम शाहिद भी पेशे से प्रोफेसर है. आप भी अपना विद्यालय चलाती हैं. नये युवा चेयरमैन प्रत्याशी, संतोष कुमार साव भी अपना विद्यालय ही चलाते हैं, और व्यवसायी लोग ही हैं. इसलिए आप इस चुनाव को कैसे लीजिएगा. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिल्कुल आराम से, बिल्कुल आराम से. यदि सही कहा जाए, तो सारे एजुकेटेड लोग हैं. लेकिन क्या मिरिख दरखशां चुनाव जीतेगी. तब उनके पति व पूर्व चेयरमैन, डॉक्टर गुलाम शाहिद को जाने दिया जाएगा. किसी भी मीटिंग में.

पद पे कौन आएगी. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि पहले भी तो चेयरमैन रही है मिरिख दरखशां. तब मुस्कुराते हुए जवाब दी कि बिल्कुल रह चुकी है, मिरिख दरखशां, और यदि काम हो गया होता. सब कुछ. अगर इन अनर्गल ढंग से कर का व्यवस्था नहीं होता. हाउस टैक्स ढंग से नहीं बनता. तो लोगों में असंतोष की भावना नहीं बनती. और लोग इनका खुशी - खुशी स्वागत करते. मैं ये नहीं कहती कि काम नहीं किया है उन्होंने. लेकिन जो काम होना चाहिए. उतना नहीं हुआ. हमारा क्षेत्र 10% और 20% काम का मोहताज नहीं है.

रफीगंज आज इतना पीछे हो चुका है, कि यहां कम से कम 90% काम चाहिए. तब बाकी आस पास के शहरों से ये कंप्लीट कर पायेगा. जो पहले गांव थे. आज अनुमंडल है. रफीगंज में. रफीगंज विकसित क्षेत्र होते हुए पीछे रह गया. जहां का तहां रह गया 20 साल में. आखिर उस समय भी थी उनकी. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि दोनों पति - पत्नी पूर्व चेयरमैन, डॉक्टर गुलाम शाहिद व मिरिख दरखशां का कहना है कि नगर - पंचायत, रफीगंज में जो भी विकास की इबारत लिखी गई है. वह हम लोगों के कार्यकाल में ही लिखी गई है. और इस बात का समर्थन वार्ड नंबर - 13 के पूर्व वार्ड पार्षद रह चुके योगेंद्र यादव भी करते हैं. इसलिए इस मुद्दे पर आप क्या कहना चाहेंगी. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिल्कुल. मैं वही कह रही हूं, कि जो भी विकास कार्य किया गया है. वो जो भी विकास कार्य 10% और 20% नहीं होना चाहिए. ये पूरी तरह से होना चाहिए. 80 और 90% होना चाहिए. वर्ना आज ठीक है. रफीगंज पूरा विकास किया गया. अनुमंडल क्यों नहीं बन पाया. पटना से ज्यादा यहां का कर लगा रखा है. हाउस टैक्स उन्होंने लगा रखा है. उनके अपने गली का 4 रुपये स्क्वायर फीट है. वो मुख्य कनेक्टिक मार्ग नहीं है. और जो मेन रोड है. उसका सीधे 32 रुपये स्क्वायर फीट किस आधार पर रखा है. हाउस टैक्स उनमें भी लगाया गया है. जहां खिड़की, दरवाजे नहीं है. क्या उन्हें नियम मालूम नहीं है. आप कहते हैं कि मुख्य पार्षद रहे हैं. ठीक है मुख्य पार्षद रहे. उन्हें मालूम होना चाहिए था. कि जिन घरों में खिड़की, दरवाजे नहीं लगे होते हैं. उनका हाउस टैक्स नहीं लग रहा है.

तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि वादे तो सारे लोग करते हैं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद लोग वही करते हैं. कि मनमाने तरीके से ही टैक्स लागू कर देते हैं. तब जवाब देते हुए कहा कि इसी चीज को बदलने आई हूं मैं. वर्ना सरकारी नौकरी छोड़के सारे लोग नहीं आते. आज डॉक्टर गुलाम शाहिद पहले रह चुके हैं ना. अभी है नौकरी. छोड़के आएंगे. आपने जिक्र निकाला. मैं अपनी तरफ से जिक्र नहीं निकालती. लेकिन आपने बोला. तो मुझे बोलना पड़ रहा है. मैं ये भी बता दूं कि मैं बहुत सुधरी हुई नहीं थी. मैं दो साल आर्मी स्कूल में काम करने के बाद मैं वादा करती हूं कि अगर आपमें से भी कोई दो साल आर्मी वाले लोगों के बीच में रह गए. और उसके बाद उनके बीच रहते हुए कहे. कि नहीं अपने देश के लिए कुछ करने का. अपने क्षेत्र के लिए कुछ करने का जज्बा ना जागृत हो जाए. तो कहिए. वहीं से मुझमें बदलाव आया है. तब मैं रिजाइन करके यहां आई हूं. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि वर्तमान जो स्थिति देखी जा रही है कि नगर पंचायत, रफीगंज में दो प्रत्याशी एक हो गए हैं. वर्तमान तक नगर पंचायत, रफीगंज की चेयरमैन रह चुकी गायत्री देवी के पति व प्रतिनिधि, जितेंद्र कुमार ने भी नये युवा चेयरमैन प्रत्याशी, संतोष कुमार साव को ही माला पहना दिया है. और नये चेयरमैन प्रत्याशी, संतोष कुमार साव ने भी जितेंद्र कुमार को माला पहनाया है. जिसका सोशल मीडिया पर फोटो भी वायरल हो रहा है. इससे आप कैसे निपटेंगी.

तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कुछ भी नहीं निपटना नहीं है. सर. वो तो उनकी मर्जी है. मेरा तो इसमें कोई हाथ नहीं है. फैसला लेने का निर्णय तो पूरी तरह से जनता का है ना. कि वो किसे लाना चाहती है. इसमें हम क्या कर सकते हैं. राजनीति में आई हूं. राजनीति नहीं करने आई हूं. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि अधिकांश कोई भी चुनाव में अंतिम समय होते - होते जाति, पार्टी, धर्म के नाम पर ही वोट का बंटवारा हो जाता है. और फिर लोग जातीय समीकरण, पार्टी और धर्म के नाम पर ही वोट मांगना शुरू कर देते हैं. और विकास का मुद्दा गौण हो जाता है. जैसे अन्य देशों में विकास के मुद्दे पर चुनाव होते है. वैसे यहां हिंदुस्तान में तो अधिकांश जगहों पर ऐसा चुनाव कभी देखा ही नहीं जाता है. इस संबंध में आप क्या कहना चाहेंगी.

तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सर आप देख रहे हैं. कि ये बिल्कुल क्षेत्रिय चुनाव है. अब तो अंतिम चरण आ गया है. नजदीक है. कल 16 दिसंबर 2022 को अंतिम है. जब चुनाव प्रचार हो सकता है. और मैं आज तक जाति के नाम पर. धर्म के नाम पर. वोट नहीं मांगे हैं. तो संगीता प्रसाद जब काम करने आई है. तो कार्य और योग्यता के आधार पर ही हमेशा वोट मांगी है. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि भारत के अंदर अधिकांश जगहों पर तो विकास का मुद्दा होता ही नहीं है. तब जवाब देते हुए कहा कि क्यों नहीं होता है सर. आज दाउदनगर विकसित नहीं हुआ है. आप कहना चाहते हैं. कि सारे के सारे रफीगंज के जैसे ही मुख्य पार्षद गये हैं. आपको लगता है. औरंगाबाद विकसित नहीं हुआ है. होता है. औरंगाबाद में आप जाकर देखिए. तीन बार सफाई हो रही है. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि तीन बार सफाई क्या हो रही है. साल में तो कभी डी0डी0टी0 का भी छिड़काव नहीं होता है. मच्छर भगाने के लिए कभी धुआं का मशीन भी नहीं चलाया जाता है. औरंगाबाद में तो चेयरमैन को केवल रिमोट से ही चलाने की बात हो रही है.

तब जवाब देते हुए कहा कि मैं ये बात नहीं कह रही हूं. मैं आस - पास के क्षेत्रों की भी बात कह रही हूं. ये कहना. तब तो आप कहना चाह रहे हैं. आज तक हमारे देश में विकास ही नहीं हुआ है. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि अधिकांश जगहों पर विकास का मुद्दा तो होता ही नहीं है ना. तब जवाब देते हुए कहा कि हमारे क्षेत्र में भी होगा. और रफीगंज में इस बात को साबित कर दिया जाएगा. कि विकास होता है. पर जनता सही प्रतिनिधि को चुनके लाएं सामने. सही प्रत्याशी को पद पे लाएं. विकास तो होकर रहेगा. कौन रोक देगा. विकास होने से. और एक बड़ी बात मैं कहना चाहूंगी. कि आप लोग जिस पद पर है. जितना प्रत्याशी. जितना पद पे बैठने वाले हैं. इस चीज के लिए जिम्मेदार उतनी ही मीडिया है. मीडिया अगर लोगों को जागृत करें. कलम की ताकत से ज्यादा ताकतवर कोई नहीं होती सर. कलम की ताकत जिस दिन जागृत हो जाए. उस दिन तो अच्छे - अच्छे लोग काम करना शुरू कर दें.

आए दिन आप न्यूज़ पेपर में छाप दीजिए. कि नगर पंचायत में ये - ये कमी हो रही है. देखिए कैसे नहीं नगर पंचायत काम करेगी. चेयरमैन तो किसी भी तरीके से काम करेंगे. काम करने के लिए बाध्य हो जाएंगे. लोग जागरूक हो जाएंगे. नगर पंचायत का घेराव करेंगे. बस आप कलम की ताकत को मजबूत कीजिए. देखिए कैसे काम होना शुरू हो जाएगा. इसलिए मैं मीडिया से सपोर्ट चाहूंगी आगे, की मीडिया हमेशा सपोर्ट करें, लोगों का. लोगों के लिए आगे आए. ताकि नगर पंचायत का काम होता रहे.

तब संवाददाता ने चेयरमैन प्रत्याशी संगीता प्रसाद से कई उदाहरण पेश करते हुए कहा कि जहां तक आपने मीडिया पर सवाल उठाया. मीडिया की जहां पर बात है. तो आप अजय कुमार पाण्डेय के बारे में पता कर लीजिएगा. पूरे जिले के अंदर कि दस खबर में आठ,नौ खबर हमेशा विवाद ही चलता है. और इसी औरंगाबाद कलेक्ट्रेट में पूरे जिला प्रशासन और पुलिस - प्रशासन से अवैध बालू उत्खनन के मामले में न्यूज़ प्रमुखता से प्रकाशित करने पर साढ़े तीन घंटा तक बहस हुआ था. लेकिन आज सभी लोगों की क्या स्थिति हुई है. सबको पता है. रफीगंज में ही स्वर्गीय चंदनमल जैन का जमीनी विवाद मामले में कोई भी खबर नहीं लिखता था. जो भू-माफिया से जुड़ा हुआ खबर था. लेकिन मैंने और मेरा सहयोगी रफीगंज संवाददाता अनिल कुमार विश्वकर्मा ने ही इस खबर को प्रमुखता से लिखा था. जो भू माफिया के विरोध में पहला खबर छपा था कि पदाधिकारी और कर्मचारी की मिलीभगत से होती है, रातों रात कब्जा. इस खबर में भी क्या हश्र हुआ. सभी रफीगंज वासियों को पता है. ऑपरेटिव बैंक, औरंगाबाद में भी 21 करोड़ 38 लाख रुपया गलत तरीका से लोन का पैसा निकासी करने के मामले में भी हमने ही प्रमुखता से खबर निकाला था. उसमें भी मुझे धमकी मिला था. लेकिन जब इंक्वायरी सेटअप हुआ. तब आज देख लीजिए. कि दोषी सभी लोगों का क्या हश्र हुआ. नगर परिषद, औरंगाबाद के चुनाव में भी मैं सन् 2012 में चेयरमैन प्रत्याशी का जमकर विरोध किया था. उस वक्त भी मुझसे काफी बहस हुई थी.

 इसके अलावे भी मेरे कई उदाहरण भरे पड़े हुए हैं. तब चेयरमैन प्रत्याशी, संगीता प्रसाद ने संवाददाता के समक्ष हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए कही कि मैं चाहूंगी सर कि आपका नाम भी उसमें शामिल हो. और आप भी वैसे लोगों में हो. मैं उन सारे मीडिया कर्मी की शुक्रगुजार हूं. जो सही में सही मुद्दे के लिए काम करते हैं. हर जगह अच्छे और बुरे लोग भरे हैं. आप ये भी जानते हैं. तो जिस तरह मीडिया में भी. आप भी मानते होंगे. इस चीज को. कि अच्छा ज्यादा. बुरे कम ही. मिलाजुला है. तो इसीलिए मैं कह रही हूं.

तब संवाददाता ने चेयरमैन प्रत्याशी, संगीता प्रसाद से कहा कि गलत समय पर मै किसी का भी विरोध कर देता हूं. तब चेयरमैन प्रत्याशी, संगीता प्रसाद ने कहा कि लीजिए सवाल अब मुझसे कहा. आपने तो मेरा जवाब खुद ही दे दिया. तब संवाददाता ने कहा कि मीडिया की बात है ना. तब जवाब देते हुए कहा कि सर आप झुके नहीं. गलत जाके. इसीलिए आज ये काम हो पाया. उसी तरह से किसी भी परिस्थिति में नहीं झुकने वाला ही बदलाव ला सकता है. मैं उन्हीं लोगों में से हूं, कि चाहे धमकी हो. चाहे लालच हो. चाहे किसी भी प्रकार का दबाव हो. संगीता प्रसाद को झुका नहीं सकता.

अंत में संवाददाता ने चेयरमैन प्रत्याशी, संगीता प्रसाद से सवाल पूछा कि आज जानकारी प्राप्त हुआ है कि आपको धमकी भी मिली है. नगर पंचायत रफीगंज के अंदर.इसलिए इस संबंध में आप क्या कहना चाहेंगी. तब पूछे गए सवालों सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मुझे धमकी नहीं मिली है. सच्चाई यही है सर. मुझे डायरेक्ट धमकी देने की हिम्मत किसी को नहीं है. और जिन्होंने कोशिश की है. इनडायरेक्ट रूप से. उनको मैंने ऐसे ही जवाब दे दिया था. लेकिन हां मेरे जो समर्थक है. जो मेरे साथ घूम रहे हैं. उन्हें धमकी मिली है. शंभू भैया है. ये बताएंगे आपको. अच्छी तरह से की इनको क्या धमकी मिली. क्या बताया गया. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि इनडायरेक्ट रूप में किसने धमकी दिया. तब जवाब देते हुए कहा कि इनको तो डायरेक्ट रूप से धमकी मिली है. मुझे नहीं.

तब संवाददाता ने चेयरमैन प्रत्याशी के समर्थक शंभू से सवाल पूछा कि आपको डायरेक्ट धमकी किसने दिया है. तब समर्थक शंभू ने जवाब देते हुए कहा कि मुझे तो पूर्व जिला परिषद, दीनानाथ विश्वकर्मा हमारे दुकान से बुलाकर ले गए, की शंभू जी आपसे कुछ काम है. कुछ बतिया लेंगे. गुप्ता जैन के दुकान में ले गए. अक्षय वस्त्रालय जैन मंदिर के नीचे. वहां पहले से विजय लालाजी और संजय जी पतंजलि वाले बैठे थे. गुप्ता जैन बुलाके सारी बात बोले. तुम लोग प्रस्तावक हो संगीता जी के समझाओ, बुझाओ और बैठाव. और सारी बातें. हुई, और अगर उसके बाद ना बैठती है. अगर संतोष हार जाता है. तो सुन जाओ. तुम लोग को संतोष मोड़ पर हलवाई अनिल हलवाई चौक पर एक तुम हो. और नाम लिया हलवाई का. तुम लोग पर चार गो गाज गिरने वाला है बहुत भारी. उसके बाद तुम लोग समझ जाओ कि क्या होगा. हालांकि चेयरमैन प्रत्याशी, संगीता प्रसाद के समर्थक पर धमकी से संबंधित मुद्दे पर जब संवाददाता ने समाचार प्रेषण पूर्व पूर्व जिला पार्षद दीनानाथ विश्वकर्मा के मोबाइल पर संपर्क स्थापित कर पक्ष लेना चाहा. तब बातें नहीं हो पायी. लेकिन ज्ञात हो कि ऐसे भी किसी मामले में खासकर नगर पंचायत, रफीगंज हमेशा सुर्खियों में छाया हुआ रहता है. और भू माफियाओं का भी बहुत बड़ा खेल रफीगंज में ही चलता है. जो प्रशासन को भी काफी गौर करने वाली बात है.