इतिहास हमें गर्व से जीना सिखाता है : Giani Harpreet Singh

"चांदनी चौक से सरहिंद तक" नामक 'लाइट एंड साउंड शो' के माध्यम से सिख इतिहास को अत्याधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया गया। पंजाबी रंगमंच, पटियाला के कलाकारों ने गुरमत की रोशनी और श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा निर्धारित नियमों के तहत अद्वितीय सिख इतिहास को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।

इतिहास हमें गर्व से जीना सिखाता है : Giani Harpreet Singh
Giani Harpreet Singh

"चांदनी चौक से सरहिंद तक" लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से सिख इतिहास की हुई प्रस्तुति

नई दिल्ली (25 दिसंबर 2023) गुरु तेग बहादर साहिब जी और चार साहिबजादों की शहादत के बारे में जानकारी देने के लिए गुरुद्वारा सत भाई गोला जी, मोती नगर द्वारा इतिहासिक कार्यक्रम करवाया गया। सामुदायिक भवन, मोती नगर में हुए "चांदनी चौक से सरहिंद तक" नामक 'लाइट एंड साउंड शो' के माध्यम से सिख इतिहास को अत्याधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया गया। पंजाबी रंगमंच, पटियाला के कलाकारों ने गुरमत की रोशनी और श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा निर्धारित नियमों के तहत अद्वितीय सिख इतिहास को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, इतिहास शोधकर्ता एवं सिख चिंतक डॉ. अनुराग सिंह और प्रचारक भाई हिरदेजीत सिंह ने इन महान शहादतों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि चमकौर साहिब के युद्ध जैसा दूसरा युद्ध इतिहास में न कभी हुआ है और न ही होगा। क्योंकि इस युद्ध में एक तरफ 10 लाख सेना थी और दूसरी तरफ सिर्फ 40 सिख थे। इसलिए हमें इतिहास के नक्शे से गायब होने की बजाय इतिहास से सबक लेना चाहिए। जैसे गुरबानी हमें सबक सिखाती है, वैसे ही इतिहास हमें सबक देता है।इसलिए हमें इतिहास को समझने की जरूरत है।

इतिहास को समझने से हमें अच्छे और बुरे में फर्क करना आ जाएगा। इतिहास हमें राजनीति और गर्व के साथ जीना सिखाता है, इतिहास हमें गिरने नहीं देता। इसलिए इतिहास पढ़ना, सुनना और बोलना समय की मांग है। लेकिन हमें उन महान गुरसिखों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जिन्होंने सिख इतिहास में सकारात्मक भूमिका निभाई है।

डॉ. अनुराग सिंह ने इतिहासिक हवाला देते हुए कहा कि इंसानियत के बिना धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती। यही बात युद्ध और धर्मयुद्ध के बीच अंतर पैदा करती है। इसका उल्लेख सनातन धर्म के ग्रंथों के साथ-साथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी मिलता है। गुरु नानक साहिब जी 'धर्मशाल' की चर्चा करते हुए धर्म की बात समझाते हैं। लेकिन सिख इतिहासकारों ने संकुचित सोच के साथ गुरू अरजन साहिब और गुरू तेग बहादर साहिब जी की शहादत के अपराधियों को बचाने के लिए फारसी स्रोतों पर भरोसा करने को तवज्जो दी लेकिन गुरू साहिब द्वारा कही गई बातों को नजरअंदाज कर दिया। गुरुद्वारा सत भाई गोला जी के मुख्य सेवादार अमरजीत सिंह ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह और डॉ. अनुराग सिंह को कृपाण देकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर भाई बीबा सिंह खालसा स्कूल के मैनेजर डॉ. परमिंदर पाल सिंह ने स्टेज सचिव की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भाभड़ा बिरादरी (मुल्तान), गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, सनातन धर्म मंदिर, सत्यनारायण मंदिर एवं मोती नगर की सभी संस्थाओं ने विशेष सहयोग दिया।