एक वली का इख़्लास
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हज़रत ख़्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा (क़द्दस अल्लाहु सिर्राहु) अपनी सुंदरता और ताक़त के लिए जाने जाते थे। कहा जाता था कि आपसे ज्यादा सुंदर और बलवान कोई नहीं था, और जब आप सेना में थे, तो कई लोग थे जो कहते थे कि उन्होंने अपने जीवन में इतना सुंदर युवक कभी नहीं देखा। आप अपनी फकी़री के बारे में कुछ भी दिखावा करना पसंद नहीं करते थे और अपने इख़्लास के लिए मशहूर थे।
एक बार हज़रत फख़रुल आरेफीन (द्वितीय) मौलाना अब्दुल हई (क़द्दस अल्लाहू सिर्राहु) दिल्ली, भारत में थे, जब दिल्ली के एक सम्मानित व्यक्ति उनसे मिलने आए। उस आदमी ने कहा कि वह आज बाजार में था और एक दरवेश (संत) से मिला, जो एक बहुत ही ऊँचे पाई के संत (वली) प्रतीत होते थे, लेकिन उनमें बिलकुल भी दिखावा नहीं था।वह आदमी इतना प्रभावित हुआ और इन महान संत (वली) की प्रशंसा करता
रहा ।
उस समय, हज़रत मोहम्मद नबी रज़ा शाह (क़द्दस अल्लाहु सिर्राहु) बाज़ार से किराने का सामान लेकर अंदर तशरीफ लाए और बैठे। वह आदमी हैरान रह गया और उसने हज़रत मौलाना अब्दुल हई (क़द्दस अल्लाहू सिर्राहु) से कहा कि यह वही आदमी हैं जिनसे वह आज बाज़ार में मिला था। हज़रत मौलाना अब्दुल हई (क़द्दस अल्लाहू सिर्राहु) ने फरमाया, "हक़ीक़त में, इस आदमी में कोई दिखावा नहीं है और इन्हें हम पर सच्चा अक़ीदा .
Lucknow Bureau chief.