सिरसा की झूठ बोलने में मास्टरी : जीके

सिरसा की झूठ बोलने में मास्टरी : जीके
नई दिल्ली ( 22 जनवरी 2023) दिल्ली की राउज एवेन्यू विशेष अदालत (सांसद/विधायक मामले) के सैशन जज विकास ढुल के द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के बाद सोशल मीडिया पर गर्माहट आ गई है। इस मामले में शिकायतकर्ता दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने जहां कोर्ट के फैसले को अपनी जीत तथा सिरसा को बड़ा झटका बताया है। तो वहीं सिरसा ने वीडियो जारी करके इसे अपनी जीत बता दिया। दरअसल जज विधि गुप्ता आंनद ने 23 अगस्त 2022 को सिरसा तथा अन्य के खिलाफ गुरु हरिक्रिशन पब्लिक स्कूल, हरी नगर की लगभग 500 करोड़ रुपए की जायदाद को जीके के जाली पत्र के आधार पर खुर्द-मुर्द करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इस फैसले को सिरसा के द्वारा स्पेशल जज श्री विकास ढुल की कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पर शनिवार को माननीय विकास ढुल ने अपने 21 पेज के आदेश में सिरसा की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए जज विधि गुप्ता आंनद के 23 अगस्त 2022 के आदेश में किसी प्रकार की कोई अवैधता या दुर्बलता नहीं होने की बात कह दी। इस आदेश के बारे अपने फेसबुक पेज पर लाइव हुए जीके ने दावा किया कि इस एफआईआर को रोकने के लिए सिरसा के द्वारा दिल्ली कमेटी के सारे तंत्र वकीलों की फौज के साथ ही सीनियर वकील रमेश गुप्ता को भी दो बार कोर्ट में उतारा गया था। पर हमारे वकील नगेन्द्र बेनीपाल की दलीलों के सामने टीम सिरसा टिक नहीं पाई। इस लिए अपनी पेशेवर झूठ बोलने की नीति को आगे बढ़ाते हुए सिरसा अपने हिसाब से अदालत के फैसले की व्याख्या कर रहे है। जबकि सच्चाई यह है कि आज सिरसा के अंहकार के साथ ही इस मामले में सिरसा को एफआईआर पर रोक का मिला हुआ अंतरिम आदेश भी रद्द हो गया है। माननीय कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश के 50 नंबर पहरे में सिरसा की एफआईआर रोकने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका को कानूनी तौर पर खारिज कर दिया है। इसलिए अपनी झूठ बोलने की मास्टरी का इस्तेमाल करके सिरसा ने अपने खिलाफ एक ओर एफआईआर दर्ज करवाने का इंतजाम कर लिया है। जीके के ऐलान किया कि कोर्ट के आदेश की ग़लत व्याख्या करने की सिरसा की इस गलती पर वो अदालत में मानहानि का एक मुकदमा ओर दर्ज करवाएंगे। 

मामले की जानकारी देते हुए जीके ने बताया कि सिरसा ने 23 फरवरी 2020 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया था कि मैंने गुरु हरिक्रिशन पब्लिक स्कूल, हरी नगर का मालिकाना हक़ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह हित को सौंपने की मंशा से 4 अप्रैल 2016 को एक कथित पत्र जारी किया था। इस पत्र को बकायदा दिल्ली कमेटी के मीडिया विभाग की आधिकारिक ईमेल से मीडिया को हित के ब्यान के साथ 23 फरवरी को जारी किया गया था, जबकि मीडिया को सिरसा ने संबोधित किया था।जिसके बाद हमारी तरफ से 24 फरवरी 2020 को जागो पार्टी के मुख्य महासचिव डाक्टर परमिंदर पाल सिंह के द्वारा दोपहर में प्रेस कांफ्रेंस करके सिरसा के दावे तथा पत्र दोनों को फर्जी बताते हुए इस मामले की दिल्ली पुलिस को शिकायत देने का ऐलान किया गया था। जिसके बाद बैकफुट पर आए सिरसा ने शाम होते-होते इस पत्र को फर्जी मानते हुए इस पत्र के क्रमांक पर जसलीन कौर को माइनोरिटी सर्टिफिकेट जारी होने की बात दिल्ली पुलिस को दी अपनी शिकायत में स्वीकार कर ली। इसी बात को अदालत ने प्रमुखता से समझा कि जब पत्र को दोनों पक्ष जाली मान रहे हैं। तो प्रथम दृष्टया यह जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात का मामला लगता है। इसलिए इस मामले में वैज्ञानिक जांच जरूरी लगती है। इसलिए दिल्ली कमेटी के लैटर हेड पर कथित जाली पत्र लिखने के पीछे की वास्तविक मंशा, उसकी लिखावट/हस्ताक्षर और कथित आरोपी व्यक्तियों की भूमिका की विस्तार से जांच आवश्यक है। जीके ने बताया कि जब दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्षों को इस मामले में जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ने बुलाया था तो तब भी हित ने साफ कहा था कि यह कथित पत्र उन्हें सिरसा ने दिया था। सिरसा के द्वारा डाली गई अपनी वीडियो में बार-बार गुरु तेग बहादर साहिब जी की कृपा होने के किए गए दावे पर चुटकी लेते हुए जीके ने कहा कि हां तुम्हारे पर गुरु तेग बहादर साहिब जी की कृपा हुई है, तभी तो‌ तुम 500 से ज्यादा वोटों से दिल्ली कमेटी का पंजाबी बाग वार्ड से चुनाव हार गए और फिर गुरमुखी के टेस्ट में फेल हो गए। इसलिए तुम्हारे जैसे से मैं डरने वाला नहीं, गुरु तेग बहादर साहिब सभी के साथ न्याय करेंगे। इस मौके डाक्टर परमिंदर पाल सिंह ने केस के तकनीकी पक्षों की जानकारी दी, जिसे अदालत ने अपने आदेश में सही माना था।