हिंदू बहन से मिला रेशम सा प्यार | अब रक्षाबंधन की परंपरा निभा रहा मुस्लिम परिवार
हमसे तो जात अछि उन परिंदों की | जो कभी मदिर पे जा बैठे तो कभी मस्जिद पे जा बैठे
अनिल कुमार मिश्र :
औरंगाबाद : रक्षाबंधन किसी मजहब या संप्रदाय का नहीं बल्कि भाई-बहन की मोहब्बत का बंधन है, जिसमें खून के नहीं बल्कि रिश्तों के बंधन ज्यादा मायने रखते हैं। भाई-बहन के प्यार का बंधन है ही इतना खास जो न धर्म देखता है न जाति। कुल मिलाकर कहा जाए तो ये पूरी तरह से हिंदुस्तानी रक्षाबंधन हैं, जहां पर हिंदू बहनें मुस्लिम भाईयों को राखी बांध कर पैगाम देती हैं कि अभी फिजा में इंसानियत और अमन बाकी है, जिसे कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम बांटकर असली हिंदुस्तान को बांटना चाहते हैं।
हिंदू बहनों से मुस्लिम भाई मो. शाहनवाज रहमान उर्फ सल्लू खान को रक्षाबंधन पर्व पर बांधी राखी ।
रक्षाबंधन पर्व पर हिंदू बहनों से मुस्लिम भाई मो. शाहनवाज रहमान उर्फ सल्लू खान को राखी बांधी और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जताया। मौके पर सल्लू खान ने बहनों के जीवन भर सुरक्षा करने का संकल्प लिया। कहा कि ये तो हमारे मुल्क है जो आपको एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में देखने को मिल जाती है। बहन अनिका मेहता, रूपा आफिया सहित ने कहा कि ये हम भाई बहनों का प्यार है। आज मुझे बेहद खुशी हो रही है जहां लोग सांप्रदायिकता की बातें करते हैं ऐसे में हम सौहार्द की मिसाल पेश करते हैं। कहा कि ये त्योहार है ही ऐसा, जिसमें मजहब की दीवारें टूट जाती हैं। सल्लू खान मेरे भाई हैं, जिन्हें मैं ये राखी बांधती हूं। ये रक्षाबंधन सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी मना रहे हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिनके रिश्ते भले ही खून के न हो लेकिन इंसानियत और मुहब्बत के रिश्तों की डोर को राखी के बंधन से ऐसे बांधे रखा है जिसकी दुहाई हर कोई देता है। इस मौके पर पिंटू गुप्ता, मो. इबरार अन्ना खान, टिक्का खान,सुशील कुमार, विकास कुमार सहित उपस्थित रहे।
सल्लू खान्न नें कहा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, बहनों ने मुस्लिम भाइयों को बांधी है राखी,हम क्या बनाने आये थे और क्या बना बैठे... कहीं मंदिर बना बैठे तो कहीं मस्जिद बना बैठे।