आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अनगिनत लोगों को जीने की कला सिखाई : मुनि श्री कमल कुमार जी, दिल्ली

यह कार्यक्रम ग्रैंड अमरl, सीबीटी ग्राउंड, शाहदरा में हुआ. अपने आराध्य देव के प्रति अपने ओजस्वी वाणी से अंतर उद्गार व्यक्त करते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने फरमाया कि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने त्रिसूत्री आयाम  के द्वारा केवल जैन को ही नहीं जन-जन को प्रभावित किया है.

आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अनगिनत लोगों को जीने की कला सिखाई : मुनि श्री कमल कुमार जी, दिल्ली
Muni Shri Kamal Kumar Ji, Delhi

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के पावन सानिध्य में महातपस्वी महामनस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी का दीक्षा कल्याण दिवस का कार्यक्रम भव्य नव्य रूप में मनाया गया. जिसमें दिगंबर आचार्य सुनील सागर जी, आचार्य विभक्त सागर जी, ऐलक विज्ञान सागर जी, मूर्तिपूजक गच्छाधिपति धर्मधुरन्धर जी, स्थानकवासी संप्रदाय के उत्तरभारतीय प्रवर्तक सुभद्र मुनि जी, उपप्रवर्तक आनंद मुनि जी, साध्वी श्री अणिमा श्री जी आदि का एक साथ उपस्थित होना भी बड़े गौरव का विषय है. आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रति सभी के हार्दिक उद्गार सुनकर सब बाग-बाग हो गए.

यह कार्यक्रम ग्रैंड अमरl, सीबीटी ग्राउंड, शाहदरा में हुआ. अपने आराध्य देव के प्रति अपने ओजस्वी वाणी से अंतर उद्गार व्यक्त करते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने फरमाया कि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने त्रिसूत्री आयाम  के द्वारा केवल जैन को ही नहीं जन-जन को प्रभावित किया है. आपने देश-विदेश की लंबी यात्राएं करके अनगिनत लोगों को जीने की कला सिखाई. आपके कुशल नेतृत्व में सारा धर्म संघ स्वस्थ मस्त और संयम साधना में गतिमान है. आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि महाश्रमण जी की क्षमताओं से सारा जैन समाज लाभान्वित हो रहा है. आचार्य विभक्त सागर जी ने कहा कि इस प्रकार सबका एक साथ एकत्रित होना ही अपने आप में बड़ी बात है, यह उनके पुण्योदय का प्रमाण है. ऐलक विज्ञान सागर जी ने कहा कि 12 वर्ष में दीक्षित होकर 23 24 वर्ष की उम्र में युवाचार्य के अंतरंग कार्य में सहयोगी बन जाना यह जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है.

मूर्ति पूजक संप्रदाय के गच्छाधिपति धर्मधूरन्धर जी ने कहा कि आज उनके चारित्र का अभिनंदन किया जा रहा है हमारे लिए चारित्र पूजनीय होता है. उत्तर भारत प्रवर्तक सुभद्र मुनि ने कहा कि मैं कालूगणी को तो नहीं देखा परंतु आचार्य श्री तुलसी आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी आचार्य श्री महाश्रमण जी को देखा है तीनों पर कालूगणी का उपकार है जो जैन आगमों का काम हुआ है और जो हो रहा है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है. दीपेश मुनि नें आचार्य श्री महाश्रमण जी के एक-एक अक्षर की नवीन व्याख्या कर सबको आकर्षित कर दिया. साध्वीश्री अणिमाश्री जी ने आचार्य महाश्रमण जी की विनम्रता कर्तव्य परायणता के उदाहरण देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. इस अवसर पर शासनश्री साध्वीश्री संघमित्रा जी द्वारा निर्मित गीत का दिल्ली के संगायको ने पेश कर शमा बांध दिया. मुनि अमन कुमार जी, साध्वी डॉक्टर सुधाप्रभा जी ने भी अपने गीत और वक्तव्य से गुरुदेव का वर्धापन किया. साध्वीमंडल का गीत भी आकर्षक रहा.

कार्यक्रम में दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज जी सेठिया, कल्याण परिषद के संयोजक के सी जैन, कृष्णानगर सभा के अध्यक्ष कमल जी गांधी, शाहदरा सभा के अध्यक्ष पन्नालाल जी बैद, विकास मंच गांधीनगर के अध्यक्ष दीपचंद जी सुराणा, विधानसभा अध्यक्ष श्री रामनिवास गोयल, पश्चिम विहार से डालमचंद जी बैद एवम् कमल सेठिया अध्यक्ष जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट आदि ने अपने उन्नत भावों से वर्धापना की. तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद का गीत भी प्रभावशाली रहा. कार्यक्रम में प्रायोजकों, संयोजकों, विधानसभा अध्यक्ष एवं स्थान प्रदाता गुरमीत जी का स्वागत किया गया.

कार्यक्रम का संयोजन दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद जी घोड़ावत ने किया. मुनि नमि कुमार जी ने 20 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया. कार्यक्रम में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने अधिक से अधिक समायिक और लगभग 250 एकासन, आयम्बिल, एकलठाणा व उपवास आदि किये. कार्यक्रम में अजातशत्रु मांगीलाल जी सेठिया, संपत जी नाहटा, गोविंदाराम जी बाफणा, शांतिलाल जी जैन, जीतमल जी चौरडिया आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में सभा के कार्यकर्ता, युवक परिषद, महिला मंडल आदि का पूर्ण सहयोग रहा. कार्यक्रम का आभार ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक मनोज जी सुराणा ने किया.

डॉ. कमल जैन सेठिया मीडिया संयोजक भी उपस्थित थे.