जेल की दीवारें हमारे हौसले को कम नहीं कर सकती: कलीमुल हफीज़

जेल की दीवारें हमारे हौसले को कम नहीं कर सकती: कलीमुल हफीज़

नामूस ए रिसालत की हिफाज़त के लिए जेल जाना सियासत नहीं इबादत है

गुस्ताखान ए रसूल के खिलाफ आवाज़ उठाने के सिलसिले में अपने तीस जांबाजों के साथ जेल गए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन, दिल्ली के सदर कलीमुल हफ़ीज़ ने अल्लाह का शुक्र अदा करने के साथ मजलिस, मिन्नत, मीडिया और कानूनी टीम का भी शुक्रिया अदा किया, उन्होंने कहा हक की लड़ाई जारी रहेगी

रिपोर्ट: मोइन अहमद खान :

नई दिल्ली 16 जून: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMM) दिल्ली के सदर कलीमुल हफीज ने अपनी रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि चाहे वह तिहाड़ जेल हो या रोहिणी जेल या कोई अन्य जेल उनकी दीवारे हमारे हौसले को कम नहीं कर सकती। हम नामूस ए रिसालत की हिफाजत की हिमायत में और गुस्ताखान ए रसूल के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद कलीमुल हफीज ने सबसे पहले अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा किया और दूसरी तरफ ऑल इंडिया मजलिस-ए इतेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी, मजलिस के कारकुनी, मुल्क के करोड़ों चाहने वालों, लीगल टीम, मीडिया और सोशल मीडिया वगैरह का शुक्रिया अदा किया।

याद रहे कि इंडिया मजलिस-ए-इतेहादुल मुस्लिमीन, दिल्ली ने 9 जून, 2022 को सुबह 11 बजे जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी और संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में अनुमति मांगी थी लेकिन दिल्ली पुलिस प्रदर्शन से कुछ घंटे बाद हमारी गुजारिश को रद्द कर दिया था। जब संसद मार्ग थाने में एसीपी से मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि आप कुछ लोग थाने आ सकते हैं और यहां से आपको ज्ञापन देने के लिए भेजा जाएगा, समय दिया गया। रसूल अल्लाह (स.) की शान में गुस्ताखी करने वालों के खिलाफ मिल्लत ए इस्लामिया में इतना गुस्सा था कि 30,000 से 40,000 लोग जंतर मंतर पर इकट्ठा होते लेकिन सदर दिल्ली कलीमुल हफीज ने जनता को इकट्ठा होने से मना किया। मतलब दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी। पुलिस ऑफिसर के साथ हुयी मीटिंग में तय हुआ कि कुछ जिम्मेदार लोग ही संसद मार्ग थाने में जाकर ज्ञापन देंगे। दिल्ली पुलिस ने दो वाहनों के नंबर मांगे थे ताकि उन्हें आने में दिक्कत न हो। यही किया गया था। दोपहर करीब 12 बजे दिन जब हम सदर दिल्ली मजलिस थाने पहुंचे तो वहां पहले से ही मीडिया था और कुछ लोग पहुंच गए थे जो स्वाभाविक था क्योंकि कहीं से भी सदर के जाने की खबर मिलती है तो कुछ लोग मौके पर पहुंच जाते हैं। सदर जैसे ही कार से उतरे, मीडिया ने उनको घेर लिया और दिल्ली पुलिस ने थाने के दरवाजे बंद कर दिए। थोड़ी देर सबको लेकर दिल्ली पुलिस ने हमको बस में बिठाया। बस में कार्याकर्तों की तादात बहुत कम थी। 12 बजे जब उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस थाने में गिरफ्तार करके ले जाया गया तो वहां हमारे सदर के समर्थक वहां पहुंच गए। यहाँ उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया। इस दौरान एसीपी के साथ दो बार कलीमुल हफीज और अन्य जिम्मेदारी के साथ मीटिंग हुयी थी जिसमें यह आश्वासन दिया गया था कि सभी को शाम तक रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन अपने आका के दबाव में, दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के हमारे पार्टी के अध्यक्ष सहित 30 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया उन्हें रात भर अलग-अलग थानों के हवालात में बंद रखा और फिर 10 जून को करीब 12 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया, अदालत ने सभी को जेल भेज दिया। कलीमुल हफीज सहित तीन लोगों को रोहिणी जेल भेजा गया, जबकि 27 कार्यकर्ताओं को तिहाड़ जेल भेजा गया। सोमवार को सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया क्योंकि दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई.

मीडिया से बात करते हुए कलीमुल हफीज साहब ने आगे कहा कि वास्तव में यह सब कुछ हमें डराने की कोशिश थी लेकिन हम डरने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सफर में राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के अलावा पूरी मरकजी मजलिस मिल्लत ए इस्लामिया हिंद हमारी कानूनी टीम, मीडिया और सोशल मीडिया के करोड़ो लोग जो हमारे साथ खड़े रहे उनका हम दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि नामूस ए रिसालत के हिफाजत के लिए हमें चुनने के लिए अल्लाह का शुक्रिया और हमें फख्र है कि हम गुस्ताखान ए रसूल के खिलाफ़ लड़ते हुए जेल गए। हमारा यह अमल सियासत नहीं बल्कि इबादत है। 

इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूसरे कार्यकर्ताओं ने भी सरकार और प्रशासन के व्यवहार को बताया कि किस तरहआजकल तानाशाही हुकूमत कार्य कर रही है जहां आप अपनी बात नहीं रख सकते, सरकार पर उंगली नहीं उठा सकते। आपस की भाईचारे को मिटा रही है, सरकार नफरत पैदा कर रही है। प्रशासन के अंदर भी एक समुदाय की प्रति हमने घृणा और नफरत देखी जोकि बहुत निंदनीय है।

डॉ. मुमताज आलम, रिजवी मीडिया प्रभारी