लोहिया बिहार स्वच्छ अभियान के तहत प्रवेक्षक के पद पर की जाने वाली बहाली मामले में आवेदिका ने लगाई पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप

allegations against the office bearers

लोहिया बिहार स्वच्छ अभियान के तहत प्रवेक्षक के पद पर की जाने वाली बहाली मामले में आवेदिका ने लगाई पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप
allegations against the office bearers

अजय कुमार पाण्डेय:

औरंगाबाद: ( बिहार ) ओबरा प्रखंड मुख्यालय स्थित सोनार गली निवासी, आवेदिका सुनीता देवी ने विभागीय पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए संवाददाता के समक्ष गुरुवार को ब्यान दिया है, कि सरकारी नियमानुकूल तरीके से लोहिया बिहार स्वच्छ अभियान के तहत पर्यवेक्षक के पद पर सर्वप्रथम महिला आवेदिका को ही प्राथमिकता देकर बहाली करना है. लेकिन विभागीय पदाधिकारियों ने आपस में ही तालमेल करके सरकारी नियमों को ताक पर रखते हुए ओबरा प्रखंड में पुरुष को प्रधानता देकर पर्यवेक्षक के पद पर बहाली कर दिया है. जो बिल्कुल गलत है. और बिहार में सुशासन राज का असली सच भी यही है कि सरकारी नियमानुकूल तरीके से यदि कोई पीड़ित / पीड़िता विभागीय पदाधिकारियों के समक्ष लिखित रूप से शिकायत भी करता है. तो इससे गलत करने वाले विभागीय पदाधिकारियों को भी कोई फर्क नहीं पड़ता है.

तब संवाददाता ने आवेदिका, सुनीता देवी से सवाल पूछा कि क्या आपने इसकी लिखित शिकायत विभाग के वरीय पदाधिकारियों से भी की है. और प्रवेक्षक के पद पर जब विभागीय पदाधिकारियों द्वारा बहाली की जा रही थी. तब बहाली से पूर्व विभागीय पदाधिकारियों द्वारा ग्राम सभा की बैठक भी तो बुलाई गई होगी ना. इसके बाद ही तो विभागीय पदाधिकारियों ने निर्णय ले करके प्रवेक्षक के पद पर बहाली किया होगा. इसलिए आप प्रवेक्षक के पद पर बहाली किए जाने से पूर्व ही विभागीय पदाधिकारियों के समक्ष लिखित आवेदन देकर आपत्ति दर्ज की थी, या नहीं.

तब आवेदिका, सुनीता देवी ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का कैमरा पर ही जवाब देते हुए कहा है कि मैं बहाली से पूर्व लिखित रूप से आवेदन देकर आपत्ति भी दर्ज की थी. और मैं प्रखंड, अनुमंडल कार्यालय दाउदनगर से लेकर जिला के वरीय पदाधिकारी से भी मुलाकात करके इस संबंध में लिखित रूप से आवेदन देकर शिकायत कर चुकी हूं. फिर भी विभाग के चार पदाधिकारियों ने मिलकर सरकारी नियम कानून को ताक पर रखते हुए प्रवेक्षक के पद पर बहाली कर दिया है. और हमारी बातों को पदाधिकारियों ने सुना ही नहीं है. अनदेखा किया गया. इसलिए यह बहाली ही गलत हुआ है. इसलिए मैं जिले के वरीय पदाधिकारियों से भी मांग करती हूं, कि इसकी निष्पक्ष जांच करके सरकारी नियमानुकूल तरीके से महिला को प्राथमिकता देकर उचित बहाली किया जाए. ताकि आम लोगों को भी कानून पर भरोसा बना रहे, अन्यथा मैं बाध्य होकर न्याय के लिए न्यायालय पहुंचकर न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाऊंगी. क्योंकि न्यायालय से बड़ा कोई भी व्यक्ति नहीं है.

ज्ञात हो कि सरकारी नियमानुकूल तरीके से लोहिया बिहार स्वच्छ अभियान के तहत पर्यवेक्षक के पद पर जो सर्वप्रथम महिला आवेदिका को ही प्राथमिकता देकर बहाली करना है. उसमें महिला आवेदिका को जीवीका सदस्य होना भी अनिवार्य है, और अनुभव प्राप्त होना भी अनिवार्य है. ध्यातव्य हो कि इसी संबंध में जब संवाददाता ने ओबरा प्रखंड के बी0सी0ओ0 अजय राम से समाचार प्रेषण पूर्व मोबाइल पर संपर्क स्थापित कर सवाल पूछा. तब पूछे गए सवालों का उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि वो सर हम बताना चाहेंगे, कि बहुत पहले से ये मामला आ रहा है. पहले से मामला ये आ रहा है, कि मुखिया जी बहाली किसी का कर दिए थे. उस व्यक्ति को हम लोग गाइडलाइन के अनुसार अनुपालन नहीं किए. मतलब हम  सोचें कि गाइडलाइन के अनुसार उन लोग नहीं है. फिर हम लोग ग्रामसभा करने के लिए दिए. ग्राम सभा में हम लोग नोडल पदाधिकारी के रूप में प्रखंड के बी0पी0आर0ओ0 को बनाकर उनके साथ में एक टीम भी बनाए थे. मनरेगा जेई और कृषि पदाधिकारी ओबरा. तीन लोगों का टीम था, और तीनों लोगों द्वारा  ये काम किया गया है. मतलब की बहाली किया गया. चयन किया गया है. इसलिए अधिकृत रहेगा, कि सर आप एक बार हमारे बी0पी0आर0ओ0 साहब से बात कर लीजिए. कि किस आधार पर उन लोग कमिटी बहाली किया. कमेटी हम लोग दिए थे उसमें, कि जाकर जरा गाइडलाइन कंफर्म कराइए. उनकी अध्यक्षता में टीम गई हुई थी. इसलिए सर आपके द्वारा कम से कम एक बार बी0पी0आर0ओ0 साहब से बात कर लिया जाए, कि आप लोगों द्वारा जब टीम बना करके भेजा गया. तब क्या-क्या देखें. कैसे चयन किए. वो बताएं.

अंत में ओबरा प्रखंड के बी0सी0ओ0 अजय राम ने संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि ग्रामसभा कराने का अधिकार तो हमारा सचिव, मुखिया जी, सभी वार्ड सदस्य एवं ग्रामीण जनता का ही होता है. लेकिन उसको पारदर्शी बनाने के लिए ही एक टीम बनाई गई थी. नोडल पदाधिकारी के रूप में बी0पी0आर0ओ0 साहब को डिपुर्ट किया गया था. उनके साथ एक मेंबर के रूप में मनरेगा जेई को दिया गया था. उनके साथ में कृषि पदाधिकारी भी थे. तो तीन आदमी का टीम था. तो उन्होंने क्या देखा. क्या गाइडलाइन में है. इसलिए सर आप एक बार जरा बात कर लीजिए. तब फिर इसी मुद्दे पर जब संवाददाता ने समाचार प्रेषण पूर्व ही ओबरा प्रखंड के बी0पी0आर0ओ0 विकास कुमार के मोबाइल नंबर पर संपर्क स्थापित कर सवाल पूछा.

तब उन्होंने पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उसमें हुआ था, जो है कि ग्राम सभा आयोजित किया गया था. 24 नवंबर 2022 को. उसी में उन लोग का चयन हुआ था. तो फिर उसके बाद उसी में उन लोग केस वेस किया. अपना जो है. लोक शिकायत में वगैरह. वहां से फिर आया. मतलब उसको नियमानुकूल करने के लिए. तो उसमें देखा गया. तो पंचायत सचिव द्वारा बताया गया कि सब जो आवेदन किया गया था. तब जब जो है. जब ग्राम सभा आयोजित हुआ था. उस वक्त सिर्फ दो ही व्यक्ति को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्राप्त था. प्रशिक्षण प्रमाण पत्र होना आवश्यक है. बहाली होने के लिए. चाहे महिला हो या पुरुष हो. तो उसके आधार पर जो है. दो ही व्यक्ति को मिला था. एक संजय कुमार को. एक अभिषेक सोनी को. और उसमें संजय कुमार जो थे. उनका उम्र 45 वर्ष से अधिक है. इसके कारण उनको कंसीडर नहीं किया गया. सिर्फ एक व्यक्ति बचा अभिषेक कुमार सोनी. उसका चयन ग्राम सभा के द्वारा किया गया है. उसी को जो है. हम लोग चार सदस्य थे. चारों सदस्य ने देखा. तो बिल्कुल सही था. कि प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जो था. ग्राम सभा के किसी के बाद का था. इसलिए उसको कंसीडर नहीं किया गया. और उसको जो है. सिर्फ एक व्यक्ति को चयन किया गया है उसका. बाकी लोगों को लगता है कि पता नहीं किसी को क्या चयन किया गया है. देखे तो सही लगा. तो उसमें जो था. सो हम लोग कर दिए. बाकी इन लोग का जो है.

अगर मान लीजिए कंप्लेन है. किसी प्रकार का. आपत्ति है कि गलत हुआ या नियम के विरुद्ध हुआ है. तो उन लोग अपना फिर से जांच के लिए दे सकता है, वरीय पदाधिकारी को. वरीय पदाधिकारी लोग जांच करेंगे. जो उचित होगा. वो होगा. हम लोग को इससे विशेष कोई मतलब नहीं है.  हम लोग को इतना टाइम नहीं है. कि दिन भर पंचायत में लगे रहेंगे. वो नाम था लेटर में. खाली जाकर देखे, तो सही था. उसको हम लोग अपना अनुसार जांच करके कर दिए. किसी को नौकरी प्यारा नहीं है . सब कोई हम लोग गलत करने थोड़े ही जाएंगे. अगर गलत करेंगे. तब आज न कल तो  वो जरूर जांच के घेरे में आएगा. बिल्कुल तो ऐसा नहीं है . कि गलत हुआ है. जो होता है देखिए स्थानीय स्तर पर उन लोग प्रभावित रहते हैं. किसी किसी चीज पे. तो हमको भी बहुत फोन आया.

हमको तो इतना ये लग रहा था, कि बताइए छोटा सा काम के लिए इतना परेशान किया जा रहा है. सर अभी हम ऑडिट करवाने आए हैं. अभी फालतू का कॉल दिन भर आते रह रहा है. उसके संबंध में. हमको क्या मतलब है. वो सब से. जिसका हो. हम लोग को जो सही लगा, करके आ गए. किसी को यदि गलत लग रहा है. तो वो अपना जांच करवा ले. ऐसे किसी का कोई गलत नहीं हुआ है.