बोधगया में युद्ध एवं शांति के संदर्भ में लोकतंत्र विषयक सेमिनार संपन्न

बोधगया में युद्ध एवं शांति के संदर्भ में लोकतंत्र विषयक सेमिनार संपन्न

बोधगया (गया): विश्व शांति की भूमि के रूप में प्रसिद्ध बिहार के बोधगया से इंडियन सोशल एक्शन फोरम(इंसाफ) ने शांति का संदेश दिया है. यह संदेश इंसाफ के बैनर तले शनिवार को यहां के बिरला धर्मशाला के सभागार में आयोजित "युद्ध एवं शांति के संदर्भ में लोकतंत्र" विषयक सेमिनार में वक्ताओं ने अपने विचारों के माध्यम से दिया. 

वक्ताओं ने कहा कि बोधगया तथागत गौतम की धरती है. यह शांति की भूमि है. शांति की इस धरती पर इंसाफ युद्ध की विभीषिका और लोकतंत्र पर सेमिनार आयोजित कर पूरी दुनियां को उचित समय पर पर शांति स्थापित करने का संदेश देने का ही काम कर रहा है. वक्ताओं ने कहा कि दुनियां में सबसे अच्छी व्यवस्था लोकतांत्रिक शासन प्रणाली मानी जाती है. मानव मूल रूप से लोकतांत्रिक होता है और वह लोकतंत्र को पसंद करता है. 

पूरी दुनियां में इस व्यवस्था को लाने के पीछे शांति, समानता और भाईचारा की स्थापना ही लोकतंत्र का उदेश्य रहा है. नियमित अंतराल पर चुनाव और चुनी हुई सरकार द्वारा शासन की स्थापना से पूरी दुनियां में भारत के लोकतंत्र की साख बढ़ी है लेकिन लोकतंत्र की विकास यात्रा में कई सवाल भी खड़े हुए है. नेहरू की वंशवादी राजनीति, आपातकाल और बाबरी विध्वंस तथा हाल के दिनों में मणिपुर की हिंसा एवं लोकतांत्रिक ताकतों के पर कुतरने के काम हुए है. ये सभी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए किए गए है. 

भारतीय राजनीति में धनबल, बाहुबल एवं जाति बल ने लोकतंत्र के समक्ष नही चुनौतियां खड़ी की है. किसी भी देश में सामाजिक आंदोलन, शिक्षा का प्रसार और मजबूत विपक्ष से लोकतंत्र स्वतः मजबूत हो जाता है. ऐसे में भारत में लोकतांत्रिक चेतना के विकास के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा. सेमिनार की अध्यक्षता निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन के संजय सज्जन सिंह ने की जबकि संचालन इंसाफ के बिहार राज्य संयोजक इरफान अहमद फातमी ने किया. वही धन्यवाद ज्ञापन एसएम खान ने किया. 

कार्यक्रम में पीस के एकबाल हुसैन, डॉ. एहसान ताबिश, लोक स्वराज के संस्थापक चंद्र भूषण, झारखंड के ग्लोबल विजन के सचिव अहमद हुसैन, झारखंड महिला समिति की सचिव मनीषा झा, बिहार इलेक्शन वाच के राजीव कुमार, हॉकर्स नेता विक्की कुमार, सिपाही सिंह, मो. नैयर, नवाब अली खान, नुरुद्दीन एवं शम्सी आदि ने विचार रखे.