पत्रकारों की प्रताड़ना के खिलाफ धरना - दिग्विजय सिंह भी हुए शामिल
भोपाल के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने एक धरना कर न्यूजक्लिक के पत्रकारों पर की गई ज्यादतियों के विरूद्ध अपना आक्रोश प्रगट किया. बड़ी संख्या में उपस्थित जिन लोगों ने अपने विचार प्रगट किए उनमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य श्री दिग्विजय सिंह भी शामिल थे.
दिग्विजय सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में यह आश्वासन दिया कि कांग्रेस देश के पत्रकारों के साथ है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित केन्द्र सरकार अभिव्यक्ति को बाधित करने के लिए प्रतिदिन कोई न कोई कदम उठाती है. मोदी सरकार ने कई पत्रकार हितैषी कानून रद्द कर दिए हैं. उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि जिन काले कानूनों का इस्तेमाल पत्रकारों को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है कांग्रेस केन्द्र की सत्ता में आने पर ऐसे कानूनों पर पुनर्विचार करेगी.
दिग्विजय सिंह और धरने में शामिल अन्य लोगों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल. एस. हरदेनिया ने कहा कि पहिले दिन से ही केन्द्रीय सरकार ने अभिव्यक्ति के अधिकार पर तरह-तरह के अंकुश लगाना प्रारंभ कर दिया था. हरदेनिया ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि पत्रकारों में इन कदमों के विरूद्ध जितना गुस्सा होना चाहिए उतना नहीं है. सारे देश में पत्रकारों समेत पूरे समाज में एक प्रकार का भय व्याप्त है. इसे दूर करना आवश्यक है अन्यथा मूलभूत अधिकारों की रक्षा करना संभव नहीं होगा.
इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेन्दु शुक्ल ने कहा मुख्य धारा के पत्रकारों के अब तक बचे हुए इस सेगमेंट पर मोदी सरकार ने जिस तरह से आघात किया है उससे ना सिर्फ पत्रकारिता बल्कि संवैधानिक मूल्यों पर भी संकट उत्पन्न हो गया है....एक विचारधारा विशेष से संचालित सरकार पत्रकारिता के एक बड़े हिस्से को तो पहले ही "चारण पत्रकारिता" में बदल चुकी है, जिससे सत्ता प्रतिष्ठान आलोचना और जवाबदेही से सीधे सीधे बच सके. इसी विचारधारा ने संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्ता का क्षरण करते हुए उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों से विचलित कर दिया हैं. ऐसे में जब सोशल और डिजिटल मीडिया लोकतंत्र की रहनुमाई कर रहे थे तब लोकतंत्र में एक उम्मीद बनी हुई थीं पर न्यूजक्लिक पर सुनियोजित तरीके से हमला करते हुए पत्रकारों की गिरफ्तारी की गई है.
इससे जाहिर हो गया है की मौजूदा मोदी सरकार दमनकारी ढंग से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सिर से ही कुचल कर लोकतंत्र को पुलिसिया राज में बदलना चाहती है. उसका उद्देश्य स्वतंत्र समाज को बंधक इकाई में बदलना है. हम सरकार की इस तानाशाहीपूर्ण रवैए की सख्त आलोचना और निंदा करते है और सरकार को कहना चाहते है कि वो अपनी बदनीयती से UAPA जैसे कानूनों की गलत व्याख्या ना करे जिससे पत्रकारों को बिना सबूत के भी आतंकवादी कहा जा सके, ताकि पत्रकार भयभीत होकर आलोचना से ही गुरेज करने लगे.
दुनिया भर में पत्रकारों की इस गिरफ्तारी के कृत्य की आलोचना हो रही है और प्रदर्शन भी हुए है. हम सरकार से कहते है कि वो तत्काल विधिक हस्तक्षेप करे , जिससे ED तानाशाहीपूर्ण तरीके से पत्रकारीय प्रतिष्ठान को भविष्य में धमकाने से बाज आए..ताकि पत्रकारिता फिर लोकतांत्रिक मूल्यों को पोसने का कार्य कर सकें.
राकेश दीवान ने कहा कि इस समय सरकार ऐसे कानूनों का दुरूपयोग कर रही है जो कांग्रेस ने बनाए थे. उन्होंने दिग्विजय सिंह से अनुरोध किया कि वे ऐसे कानूनों का रिव्यू करवाएं. उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि कांग्रेस छोटे अखबारों की मदद के लिए कुछ रणनीति बनवाए जिससे ये अखबार समाज में रचनात्मक भूमिका अदा कर सकें.
धरने को डॉ अनिल सद्गोपाल, बालेन्दु परसाई, रघुराज सिंह, जसविंदर सिंह, रामप्रकाश त्रिपाठी, फादर आनंद, दीपचन्द यादव, शैलेन्द्र शैली, सुश्री आरती आदि ने भी संबोधित किया. श्री शैली ने कार्यक्रम का संचालन भी किया.
by LS Herdenia