कांग्रेस और आप के बीच राजनीतिक समझौते से होगी क्रांति

अगर मेरी माने तो यह सब केवल कांग्रेस के नेताओं का मैदान छोड़कर भागना है। चुनाव जीतने के बाद कभी भी जनता के बीच नही दिखते जबकि भाजपा में यह अच्छी बात है कि वे बैठते नहीं एक चुनाव जीतने के बाद आगे आने वाले चुनाव की तैयारी में लग जाते हैं।

कांग्रेस और आप के बीच राजनीतिक समझौते से होगी क्रांति
Political agreement between Congress and AAP will lead to revolution

दिल्ली में 7 लोक सभा सीटों के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है। जो काम वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में नहीं हो सका, वह 2024 के आम चुनाव में हो गया। 2019 में भी कांग्रेस के कई नेता आम आदमी पार्टी (आप) से दिल्ली में सीटों पर समझौता करना चाहते थे। मगर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व दिल्ली की लगातार 15 साल मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के विरोध के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। शीला दीक्षित खुद दिल्ली उत्तर पूर्व लोकसभा से चुनाव लड़ीं और न केवल उस सीट पर बल्कि पूरी दिल्ली में कांग्रेस को आप के मुकाबले ज्यादा वोट मिले। मगर, पुराने गिले सकवे भुलाकर इस बार कांग्रेस और आप के बीच लोकसभा सीटों को लेकर समझौता हो गया है और दोनों दल अब एक नई राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं।

यह भी सब जानते हैं कि पिछले दस साल में आप के कारण ही कांग्रेस बिल्कुल नीचे जा पहुंची है। अगर मेरी माने तो यह सब केवल कांग्रेस के नेताओं का मैदान छोड़कर भागना है। चुनाव जीतने के बाद कभी भी जनता के बीच नही दिखते जबकि भाजपा में यह अच्छी बात है कि वे बैठते नहीं एक चुनाव जीतने के बाद आगे आने वाले चुनाव की तैयारी में लग जाते हैं। कांग्रेस के नेता अपने राजनीतिक पद का उपयोग नहीं जानते जबकि भाजपा के नेता इससे अपनी पहचान जनता के बीच बनाते हैं। कांग्रेस के नेताओं को सिर्फ भाजपा के अन्दर अवसर ढ़ुढ़ने में बर्बाद किया है। अगर ऐसा ही रहा तो कुछ सालों में कांग्रेस का वजूद बिल्कुल समाप्त हो जाऐगा। यह कडुवा सत्य है कि कांग्रेस के नेता काम नही करते सिर्फ शीर्ष नेताओं का मुंह झांकते हैं।

अब कांग्रेस के पास खोने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है, दिल्ली के अलावा पूरे देश में जनता के बीच हर नेता को अपने स्तर पर काम करना होगा। अपना आधार मजबूत करना होगा। दिल्ली में आप के नेता शराब घोटाले समेत अन्य कई मामलों में फंसे हैं चाहे झूठे ही सही। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। शराब घोटाले में जो नेता जेल गए, उन्हें भी जमानत नहीं मिल रही है।

चंडीगढ़ में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन से मेयर चुनाव जीता है जिसमें चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने आम आदमी पार्टी के आठ मतपत्रों को खराब कर के भाजपा के नेता को मेयर बना दिया था। लेकिन सुप्रिम कार्ट ने अहम कदम उठाते हुए कांग्रेस आम आदमी पार्टी पार्टी के मेयर को विजयी होने का निर्देश दिया है। 30 जनवरी को जो कुछ चंडीगढ़ में हुआ, वह भारत के इतिहास में कभी नही हुआ। चुनाव अधिकारी ने आप के मेयर के पक्ष में आए आठ मतों को गलत तरीके से अवैध घोषित करके भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने न केवल नतीजे बदलने का निर्देश दिया, बल्कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ कारर्वाई करने के आदेश भी दिए।

इस घटना से भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा और आप आक्रामक हो गई। संयोग से इस घटना को विपक्षी दलों ने भी ठीक से उठाया और संकट झेल रही आप ने कांग्रेस से गठबंधन करके सकारात्मक संकेत दे दिया। आप ने अपने हिस्से की हरियाणा की एक और दिल्ली की चार लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

दिल्ली और पंजाब में सरकार में होने के चलते राज्य सभा में तो आप के सदस्यों की संख्या दस है, लेकिन लोकसभा में एक ही सदस्य है।

आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए कांग्रेस और  दूसरे दलों से तालमेल जरूरी है। जिसकी शुरुआत उन्होंने कर दी है। कांग्रेस को सात सीटों में से तीन सीट मिली है।

अगर आप और कांग्रेस के गठबंधन में और कोई पार्टी आती है तो अच्छा वर्ना इन दो पार्टीयों का गठबंधन भी देश के हित में अच्छा रहेगा और आशा कर सकते हैं कि लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा भी लाने में कामयाब हो जाऐंगे। जनता के बीच जनता के हितो को लेकर बहुत जल्दी ही अपना घोषणा पत्र लाकर उस पर मैदान में काम करना होगा। झूठ, जुर्म और नफरत की उम्र नहीं होती इसलिए जो मैदान में काम करेगा वही टिकेगा।

-Mohammad Ismail, Editor