वॉइस ऑफ डूयन्स कार्यक्रम में प्रोफेसर देवकी नंद शर्मा की जन्म शताब्दी पर व्याख्यान
Lecture on birth centenary of Professor Devaki Nand Sharma in Voice of Douyance program
कला साहित्य संस्कृति से जुड़ाव ही हमारी परंपरा
संसार में परिवर्तन एक शाश्वत और चिरंतन नियम, प्रकृति को आत्मसात करते हुए प्रयोगधर्मिता सफलता की कुंजी: महंत दीपक गोस्वामी
राजस्थान के नामचीन फ्रेस्को कलाकार प्रोफेसर देवकी नंद शर्मा की जन्म शताब्दी के मौके पर वॉइस ऑफ डूयन्स कार्यक्रम के प्रथम खंड में जयपुर के जाने-माने चिंतक कला व साहित्य से जुड़े बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए.
कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक सरोकारों से जुड़ी मैसेज संस्था व सुकून फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया, कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार प्रबोध गोविल ने किया.
इस मौके पर देवकीनंदन शर्मा के बेटे और चित्रकार भवानी शंकर शर्मा ने उनमें प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम को चिन्हित किया. उनका कहना था बदलाव को आत्मसात करते हुए प्रकृति को अपनाना ही सफलता का मूल मंत्र है, नंदलाल बोस, रविंद्र नाथ टैगोर उनके आदर्श थे , उन्हीं के पद चिन्हों पर चलकर प्रकृति को अपना धेय बनाया.
वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार अशोक अत्रे के अनुसार भारत की कला साहित्य और संस्कृति पूरे संसार के लिए आज धरोहर है हम विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता इसलिए हैं कि हमने समयानुसार बदलाव को आत्मसात करते हुए नए मूल्यों को स्थापित किया.
वही बड़ौदा स्कूल ऑफ आर्ट के पूर्व डीन रहे डॉक्टर शैलेंद्र सिंह कुशवाह ने आज युवाओं को कला साहित्य में पश्चिमी करण की नकल न करते हुए अपनी शैली को अपनाने पर जोर दिया.
कार्यक्रम के संयोजक सत्यजीत तालुकदार के अनुसार सुकून फाउंडेशन के चेयरमैन धर्मेंद्र छाबड़ा ने आज युवाओं को कला साहित्य व संस्कृति से जुड़ने का आह्वान किया व् उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया.
इस मौके पर साहित्यकार, लेखक, कवि हेमंत शेष, महंत दीपक गोस्वामी, चिंतक महेश स्वामी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, कलाकार संदीप सूमहेंद्र , विनोद जोशी, डॉ रेनू शाही, एंटरप्रन्योर आभा छाबरा , रोटेरियन आशीष गुप्ता सहित सहित कई गणमान्य बुद्धिजीवी उपस्थित थे.
इस दौरान कार्यक्रम के सहयोगी संस्था कलावृत, ज्ञानं फाउंडेशन , सेव आवर सिटी व् CITYLIVE का लाइव प्रसारण के लिए आभार ज्ञापित किया गया .