मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अड़ियल रवैया की वजह से ही पटना उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव पर लगाई रोक : सुशील कुमार सिंह

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अड़ियल रवैया की वजह से ही पटना उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव पर लगाई रोक : सुशील कुमार सिंह

17 अक्टूबर 2022 को भाजपा के कार्यकर्ता नीतीश कुमार के चालाकी का पोल खोलेंगे और इस धोखे की राजनीति और संविधान की अवहेलना का पर्दाफाश करेंगे

अजय कुमार पाण्डेय :

औरंगाबाद: ( बिहार ) औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने शनिवार दिनांक 15 अक्टूबर 2022 को मुख्यालय स्थित अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित की, जिसमें उपस्थित मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में जो नगर परिषद / नगर पंचायत का चुनाव होना था. उसमें भाजपा कहां दोषी है? इस मामले में तो माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के अड़ियल रवैया की वजह से तत्काल चुनाव स्थगित कर दी.

याचिकाकर्ता ने भी अपने याचिका में ऐसा कुछ भी नहीं कहा है. याचिकाकर्ता ने भी कहा है कि हमें भी आरक्षण चाहिए. यह अति पिछड़ा आरक्षण का मामला तो माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में भी गया था. लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह केस माननीय उच्च न्यायालय, पटना को लौटा दिया. इसके बाद माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने भी सन् 2010 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के आधार पर ही फैसला सुनाते हुए तत्काल चुनाव स्थगित कर दी. तब इसमें भाजपा कहां दोषी है? जो बार बार बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं? जिस प्रकार से नगर परिषद / नगर पंचायत का चुनाव चार महीना विलंब हुआ था. उसी प्रकार 06 महीना और विलंब होता. इसके बाद ही नगर निकाय का चुनाव होता. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार तो चाहते ही नहीं है कि नगर परिषद / नगर पंचायत का चुनाव हो, और ना ही चाहते हैं कि अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण ही मिले. भाजपा सांसद ने कहा कि मैं आप लोगों के माध्यम से ही बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार से पूछना चाहता हूं कि जब पूर्व में भी महाराष्ट्र एवं गुजरात में नगर निकाय का चुनाव स्थगित हो गया था, तो फिर बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने किस संविधान के तहत बिना सोचे समझे हुए बिहार में नगर निकाय का चुनाव कराना चाह रहे थे? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तो मंशा ही था कि नगर निकाय का चुनाव ना हो. नगर निकाय का चुनाव नहीं होगा, तो केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाली राशि को अपने अधिकारियों के माध्यम से मनमानी तरीके से खूब लूटवाएंगे. भाजपा सांसद ने कहा कि यदि बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार वास्तव में नगर निकाय का चुनाव कराना चाहते, तो सबसे पहले नियमानुकूल तरीके से आयोग का गठन कर लेते. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 2010 में दिए गए आदेश के मुताबिक तीनों अहर्ताओ को समय पर पूरा कर लेते. इसके बाद ही नगर परिषद / नगर पंचायत का चुनाव कराते. लेकिन बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार तो सिर्फ कहते हैं कि हम संविधान को मानते हैं. मगर बिहार के मुख्यमंत्री तो कभी संविधान को मानते नहीं है. हमेशा सिर्फ अपना अड़ियल रवैया अपनाते हैं, तो जान लीजिए कि कोई भी सरकारें संविधान से चलती है, ना कि किसी के गलथेथरी से. मालूम होना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी जनसंघ के वक्त से ही समाज के कमजोर वर्ग, पिछड़े अति पिछड़े, महिलाओं एवं दलितों के समुचित उत्थान के समर्थक रही है. उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने में जनसंघ भाजपा की भूमिका बेहद व्यापक एवं प्रभावशाली रही है. सन्1977 में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में बनी जनता दल सरकार में कर्पूरी ठाकुर जी पहली बार अति पिछड़े वर्ग के लिए 12% तथा पिछड़ों के लिए 8% आरक्षण लेकर आए थे. हमने उनके प्रस्ताव को पूर्ण समर्थन दिया. साथ में महिलाओं के लिए 3% तथा अगले भर के ई0डब्ल्य0एस0 वर्ग के लिए भी 3% आरक्षण का प्रावधान करा कर आरक्षण पर 26% तक लेकर गए थे. आरक्षण प्रावधान के साथ महिलाओं के सार्वभौमिक उत्थान के विमर्श में यह पहला प्रयास था, जिसे हमने परणिति तक पहुंचाया. देश में पिछड़ों / अति पिछड़ों के आरक्षण से संबंधित मंडल कमीशन का गठन 20 दिसंबर 1978 को मोरारजी देसाई के जनता दल सरकार में हुआ था.

आदरणीय अटल जी एवं आडवाणी जी इस सरकार में मंत्री परिषद के सदस्य थे, और हमारे इन प्रयासों को देखते हुए ही तत्कालीन समाजवादी, वामपंथी तथा कांग्रेस की धारा के लोगों ने षड़यंत्र करके सरकार गिरा दिया, तथा हम पर दोषारोपण करने लगे. सन् 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के सरकार में जब मंडल कमीशन के फैसले लागू होने की बात आई थी. तब हम 85 सांसदों के साथ उस सरकार के सबसे बड़े साझेदार थे. सरकार के अंदर जब राम रथ यात्रा एवं राम मंदिर का विरोध हुआ, और हमें उनकी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीतियों का भान हुआ. तब हमने समर्थन वापस लिया था. हम लोग भारतीय संस्कृति के पुनरर्स्थापना के समर्थक हैं, और राम मंदिर का निर्माण हमारी सबसे प्रमुख मांगों में से एक था, जिसे हमने पहली पूर्ण बहुमत वाली सरकार के बनते ही पूरा किया है. यह लड़ाई कतई मंडल कमंडल से जुड़ी हुई नहीं थी, बल्कि भारत के सांस्कृतिक वैभव की स्थापना से जुड़ी हुई थी. सन 1989 के बाद बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार रही, और 2005 तक अति पिछड़ों के अधिकार कहीं भी बिहार के राजनीति में विमर्श का केंद्र नहीं था. वर्ष 2005 में नीतीश कुमार के साथ जब आधा सरकार बनी. तबसन 2006 में अति पिछड़े / महिलाओं तथा महा दलितों के लिए सरकारी नौकरियों, स्थानीय निकाय के चुनाव सहित शिक्षा के क्षेत्र में मौका देने हेतु आरक्षण का रोस्टर बना था. भारतीय जनता पार्टी की सरकार की सबसे प्रमुख सहयोगी थी. इसलिए भाजपा हमेशा सभी वर्गों का हितैषी रहा है.

भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा / अति पिछड़ा वर्गों के आरक्षण मामले में हितैषी नहीं होती, तो बिहार के राज्यपाल रह चुके रामनाथ कोविंद या आदिवासी महिला द्रौपदी मुरमू को राष्ट्रपति बनाती क्या? भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है. जो हमेशा सभी वर्गों को साथ लेकर चलती है. ज्ञात हो कि संवाददाता सम्मेलन के दौरान औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने अति पिछड़ों के आरक्षण मामले में भी बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार पर सवाल उठाकर मजाकिया लहजे में हीं प्रहार करते हुए कहा कि गौशाला में ही बाघ को ढुका दिया गया है.

सांसद ने आरक्षण के मामले में उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दांगी क्षत्रिय को भी आरक्षण में हीं शामिल कर दिया गया. जो हर तरह से मजबूत है. सांसद ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार बताएं कि भारतीय जनता पार्टी से किस प्रकार का सहयोग चाहते हैं? जिससे नगर निकाय में हजारों प्रत्याशी कई कारणों से परेशान ना हो? आप लोग जान लीजिए कि बिहार सरकार की गलती के कारण ही सब कुछ का पटाक्षेप हो गया. अपनी शर्मिंदगी छुपाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने नगर निकाय चुनाव मामले में सारा दोष भारतीय जनता पार्टी पर ही मढ दिया. सांसद को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार आरक्षण के मामले में एवं महिला विरोधी है. औरंगाबाद के भाजपा सांसद ने बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार पर प्रहार करते हुए कहा कि सिर्फ अपने कुर्सी के स्वार्थ में इन्होंने तो 15 वर्षों के कुशासन राज चलाने वाले लोगों के साथ भी समझौता कर लिया. जिसे बिहार की जनता भी देख रही है, और आगामी दिनों में बिहार की जनता मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार को इसका करारा जवाब भी देगी. भाजपा सांसद ने संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार अति पिछड़ा का दुश्मन है. इस बिहार की धरती पर मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार से अधिक झूठ बोलने वाला तो कोई होगा ही नहीं.

बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जो आरक्षण के मामले में भाजपा पर आरोप लगाते हैं. इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख ले. हम लोग तो आंकड़ा के आधार पर ही ब्यान देते हैं. सांसद ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि यदि नगर निकाय का चुनाव 6 महीना से अधिक लेट होता है, तो भारतीय जनता पार्टी इसका जबरदस्त विरोध भी करेगी. यदि एक माह के अंदर आयोग का गठन नहीं हुआ. तब नगर परिषद / नगर पंचायत चुनाव में कैंडिडेट बनने वाले लोगों की क्षति पूर्ति करने के लिए भी हम सभी भाजपा के लोग सड़क पर उतरकर बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार का भी घेराव करेंगे.

औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने उपस्थित पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि आगामी सोमवार दिनांक 17 अक्टूबर 2022 को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नीतीश कुमार किस चालाकी का पोल खोलेंगे, और बिहार के सभी जिलों में हमारे कार्यकर्ता प्रखंड मुख्यालय जिला मुख्यालय पर धरना  प्रदर्शन करेंगे, एवं घर घर जाकर नीतीश कुमार के अति पिछड़े वर्गों को दिए गए इस धोखे की राजनीति तथा संविधान की अवहेलना का पर्दाफाश करेंगे. इस आयोजित कार्यक्रम में भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह के साथ औरंगाबाद के भाजपा जिलाध्यक्ष, मुकेश शर्मा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष, संजय कुमार मेहता, विधान पार्षद, पूर्व जिला महामंत्री, सुरेश शर्मा, विगत दिनों नगर परिषद औरंगाबाद के चेयरमैन प्रत्याशी रहे रमन कुमार गुप्ता उर्फ बालाजी, दाउदनगर के वार्ड सदस्य, संजय कुशवाहा, पूर्व जिला पार्षद, दीनानाथ विश्वकर्मा, अधिवक्ता, मुकेश कुमार सिंह, जिला मीडिया प्रभारी, मितेंद्र कुमार सिंह बगैरह भी शामिल रहे.