वक्फ बोर्ड की बैठक में TMC सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने तोड़ी बोतल, हुए सस्पेंड
घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण
मंगलवार को संसद की संयुक्त समिति की बैठक, जो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर विचार कर रही थी, में जोरदार हंगामा देखने को मिला. पश्चिम बंगाल के टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ बहस के दौरान एक पानी की बोतल को मेज पर दे मारा. इस घटना ने न केवल बैठक को बाधित किया, बल्कि बनर्जी के हाथ में चोट भी आई. उनकी उंगली और अंगूठे के बीच कट लग गया, जिसके लिए उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता पड़ी.
सस्पेंशन का निर्णय
बनर्जी के इस व्यवहार के लिए उन्हें जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से सस्पेंड कर दिया गया. उनके सस्पेंशन को लेकर मतदान हुआ, जिसमें तीन के मुकाबले सात वोटों से निर्णय लिया गया. बताया गया कि उत्तेजित बनर्जी ने बोतल तोड़ने के बाद उसके टूटे हुए हिस्से को समिति के अध्यक्ष की ओर उछाल दिया, जो कि संसद की गरिमा के खिलाफ था. इस घटना के बाद, बैठक को तुरंत रोक दिया गया.
सत्ता और विपक्ष के बीच विवाद
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला. हालांकि, थोड़ी देर बाद जेपीसी की बैठक फिर से शुरू हो गई. इस घटना ने न केवल वक्फ बोर्ड के मुद्दे को overshadow किया, बल्कि राजनीतिक माहौल को भी गर्मा दिया.
बैठक में क्या हुआ?
सूत्रों के अनुसार, बैठक में कल्याण बनर्जी अपनी बारी का इंतजार किए बिना बोल रहे थे. उन्हें बोलने का पर्याप्त मौका दिया गया था, लेकिन वह बार-बार बिना अनुमति के अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच, ओडिशा से आए कुछ ज्यूडिशियरी प्रतिनिधि अपनी बातें समिति के सामने रख रहे थे. बनर्जी और अन्य विपक्षी सदस्यों ने जजों और वकीलों की भागीदारी की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए, जिससे बहस बढ़ गई.
बनर्जी ने जब बिना अनुमति के बोलने की कोशिश की, तो बीजेपी के अभिजीत गंगोपाध्याय ने इसका विरोध दर्ज कराया. इसके परिणामस्वरूप, दोनों के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें दोनों ओर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल देखने को मिला.
हंगामे का राजनीतिक असर
इस घटना ने न केवल वक्फ बोर्ड के मुद्दे को प्रभावित किया, बल्कि संसद की कार्यवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच इस तरह की बहसें सामान्य हैं, लेकिन इस तरह की शारीरिक झड़प ने सभी को चौंका दिया. यह घटना दर्शाती है कि संसद में बहस की गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता है, विशेषकर ऐसे मामलों में जो समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित करते हैं.
भविष्य की चुनौतियाँ
अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद जेपीसी की अगली बैठक में क्या निर्णय लिए जाते हैं. क्या सांसदों के व्यवहार में सुधार होगा, या आगे भी इसी तरह के हंगामे जारी रहेंगे? इस घटना ने सभी सांसदों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखना होगा, ताकि वे अपने कार्य को सही तरीके से निभा सकें.
संसद में सभी को यह याद रखना चाहिए कि वे जनता के प्रतिनिधि हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना चाहिए. ऐसी घटनाएं केवल संसद की गरिमा को ही प्रभावित नहीं करतीं, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करती हैं.
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय राजनीति में कई बार ऐसे अप्रत्याशित क्षण आते हैं, जब नेता अपनी भावनाओं पर नियंत्रण खो देते हैं. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चर्चा महत्वपूर्ण है, लेकिन सांसदों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र में विचारों का आदान-प्रदान ही प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि हिंसा या असहमति.
अब यह देखना होगा कि क्या कल्याण बनर्जी और अन्य सांसद अपनी गलतियों से सीखेंगे और भविष्य में संसद की कार्यवाही को सही तरीके से आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे. भारतीय राजनीति में सुधार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
आखिरकार, लोकतंत्र की ताकत उसकी संस्थाओं और उनके कामकाज में निहित होती है, और इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी प्रतिनिधियों की है.
by Shahbuddin Ansari.