सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी और आदेश का हरदेनिया एवं पुनियानी द्वारा स्वागत
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा की गई एक टिप्पणी को अनावश्यक बताया। सर्वोच्च न्यायालय की एक बेंच जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चन्द्रचूड़ शामिल थे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस कथन को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह राय प्रकट की है कि यदि धर्म परिवर्तन चालू रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश में बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हो जायेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस कथन को पूरी तरह से अनावश्यक बताया है और इस बात की चेतावनी दी कि किसी भी न्यायालय को इस तरह का कथन भविष्य में नहीं करना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई इस टिप्पणी का राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल.एस. हरदेनिया और प्रसिद्ध चिंतक डॉ. राम पुनियानी ने तहे दिल से स्वागत किया है और आशा प्रकट की है कि भविष्य में कोई भी अदालत इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी नहीं करेगी। इस वक्तव्य में इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया गया है कि इस तरह की टिप्पणियां न्यायाधीशों द्वारा की गई। न्यायाधीश शायद इस बात को भूल गये हैं कि उन्होंने भी देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के प्रति शपथ ली है और उनके द्वारा किये गये इस तरह के वक्तव्य कदापि राष्ट्रहित में नहीं हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी को कोर्ट के रिकार्ड्स से हटा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के मामले से संबंध एक व्यक्ति को जमानत भी दी है और जमानत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह अत्यधिक ऐतिहासिक मत प्रकट किया है। जिस व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दी वह पिछले 21 मई 2023 से जेल में था।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी राय प्रकट की कि इस मामले के संदर्भ में हाईकोर्ट द्वारा इस तरह की टिप्पणी अनावश्यक थी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी का उल्लेख भविष्य में किसी भी उच्च न्यायालय और अन्य अदालतों में नहीं किया जायेगा।